उदयपुर जिले के प्रमुख मन्दिर,Udaipur History,प्रमुख मेले,प्रमुख झील,प्रमुख नदियॉ
Table of Contents
Udaipur History
स्थापना:- 1559 में महाराणा उदय सिंह के द्धारा की गई
- उदयपुर की स्थापना पिछोला झील के किनारे हुई
- उदयसागर झील का निर्माण करवाकर महारणा उदयसिंह उदयपुर बनाया
- उदयपुर के उपनाम:-
1 पूर्व का वेनिस
2 राजस्थान का कश्मीर
3 एशिया का बियाना
4 सितारो का शहर
5 सैलानिया का स्वर्ग
6 फाउटेन व माउटेन सिटी
झीलो की नगरी उदयपुर को कहा जाता है
प्रमुख मेले:-
1 महाराणा प्रताप की जयंति:- हल्दीघाटी (राजसमंद), चावड उदयपुर
जन्म:- 9 मई 1540
शासक :- 28 फ़रवरी 1572 32 वर्ष
मृत्यु:- 19 जनवरी 1597 25 वर्ष (शासन किया )
महाराणा प्रताप की जयंति ज्येष्ठ शुक्ल त़तीया को बनायी जाती है
2 ऋषभदेव का मेला/ काला बावजी/ केसरियानाथ:-
धुलैव गॉव/ उदयपुर
कोयल नदी के किनारे
3 विक्रमादित्य का मेला:- उदयपुर नगर
4 शिल्पग्राम का मेला:– शिल्प ग्राम, 21 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक
5 मेवाड़ महोत्व:- उदयपुर नगर
पर्यटन विभाग द्धारा आयोजित अप्रैल माह
प्रमुख झील:-
1 पिछोला झील:-
सबसे प्राचीन व सुन्दर झील
पिछोला गॉव में
राणालाखा के काल में निर्माण हुआ
निर्माण:- 1 चिडि़यामार, 2 बिच्छुमार, बंजारे
इन्होने अपने बेलो की स्मृति में
नटनी का चबूतरा
जग मन्दिर, जग निवास महल, जगमहल/ जगत निवास महल, महाराणा जगत सिंह द्धितीय
प्रारम्भ:- महाकर्ण सिंह
पूर्ण:- यहॉ जगत सिंह प्रथम
बागौरी की हवेली
निर्माण:- अमरचंद ने
1 इसे पगडियो का सग्रहालय कहा जाता
विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी
2 फतेह सागर झील:- उदयपुर
यहॉ एक सौर वैध शाला है जिसका निर्माण 1975 में हुआ हैा अहमदाबाद की सौर वैधशाला के द्धारा
3 जयसमंद / ढेबर झील:-
इस झील में 7 टापू है जिन पर झील एवं मीणा जाति के लोग रहते है
सबसे बडे टापू को बाबा का भागड़ा कहते है
सबसे छोटे टापू को प्यारी कहते है
4 उदयसागर झील:-
निर्माण:- महाराणा उदयसिंह ने
राजस्थान में सर्वाधिक अभ्यारण्य उदयपुर जिले मे है
1 सज्नगढ अभ्यारण्य
2 कुम्भलगढ अभ्यारण्य
4 फुलवारी की नाल अभ्यारण्य
महत्वपूर्ण तथ्य:-
- गुरू गोविन्द सिंह चटान बाग
- जापानी उधान
- भामाशाही उधान
- सहेलियों की बाड़ी – उदयपुर, निर्माण:- महाराणा सग्राम सिंह द्धितीय
- इसमें जो पानी आता है वो फतेह सागर झील का आता है
1 सरस्वती भण्डार – उदयपुर
चित्रकला का एक संस्थान
राजस्थान साहित्य अकादमी 1958 उदयपुुर
2 झाडोल- सर्वाधिक हल्दी का उत्पादन
3 धीया पत्थर:- सर्वाधिक उत्पादन उदयपुर मे
4 देश का प्रथम दुग्ध विज्ञान विश्व विधालय
5 देश का प्रथम मार्शल आर्ट विश्व विधालय
6 वनवासी कल्याण परिषद
7 अभियान:- वनवासी को गले लगाना
बाफना की हवेली
बागौर की हवेली
धावाई की हवेली
उदयपुर जिले के प्रमुख मन्दिर:-
1 जगत अम्बिका माता का मन्दिर:- जगत ग्राम यह उदयपुर से 22 किमी की दुरी पर है
- मातृ देवियों को समर्पित होने के कारण शाति पीठ कहलाता है
- ये मन्दिर प्रतिहार कालीन है
- इसकी शैली महामारू शैली कहलाती है महामारू शैली नागर शैली का ही Part है
- इस मन्दिर को मेवाड़ का खजुराहो कहा जाता है
- इस मन्दिर में नृत्य गणपति की प्रतिमा है
अम्बिका माता का मन्दिर:- उदयपुर
निर्माण:- महाराणा राजसिंह ने
2 जगदीश/ जगन्नाथ मन्दिर:-
इस मन्दिर को 50 खम्भो का मन्दिर कहा जाता है
उपनाम:- सपनो का मन्दिर, स्वप्न संस्कृति का मन्दिर
ये मन्दिर उदयपुर के जगदीश चौक में है
निर्माण:- महाराणा जगत सिंह प्रथम, ये मन्दिर 50 खम्भो से निर्मित, जगन्नाथ/ प्रशास्ति (संस्कृत)
वास्तुकार:- अर्जुन, भाणा, मुकुन्द, निर्माण:- कृष्ण भट़ट
1679 ये औरंगजेब द्धारा खंडित करवा दिया गया
धाय मन्दिर/ नौजूबाई का मन्दिर:- ये मन्दिर जगदीश मन्दिर के निकट ही है
निर्माण:- महाराणा जगत सिंह प्रथम
आहड के जैन मन्दिर समूह:-
आहड़ का प्राचीन नाम आधाटपुर/ ताम्रवती नगरी/ गंगाेद्रभव है
- ये मन्दिर 12 वी शताब्दी में निर्मित है
- यहॉ पर मन्दिरों का समूह है
- जैन आचार्य जगच्चन्द ने यहॉ पर 12 वर्षो तक तप किया
- रावल जैत्र सिंह ने जगच्चन्द को तपा की उपाधि दी तथा इनकी शिष्य परम्परा तपागच्चछ कहलाई
- मेवाड़ के महाराणा अमर सिंह प्रथम ने इसकी स्थान पर सन्यास ले लिया था
- यही पर मेवाड़ के सिसोदिया वंश का शाही श्मसान स्थल है जो महासतिया कहलाता है
एकलिंग नाथ जी का मन्दिर:- कैलासपुरी गॉव (उदयपुर)
निर्माण:- बप्पारावल/कालभोज
पुन निर्माण:- महाराणा रायमल
- इस मन्दिर का सम्बन्ध हरि से है
- राजस्थान में लकुलीश / पाशुपात सम्प्रदाय एकमात्र मन्दिर है
- यहॉ पर चतुर्मुखी शिवलिंग है
- राजस्थान में भगवान शिव का सबसे बड़ा मन्दिर है
- मेवाड़ के महाराणा एकलिंग नाथ के दीवान कहलाते है
- मेला:- महाशिवरात्री के दिन, फाल्गुन कृष्ण पक्ष 13
ध्वजा की रस्म:- चैत्र अमावस्या
- इसी दिन मेवाड के महाराणा इस मन्दिर हीरों का नग चढ़ाते है
- इस मन्दिर के निकट एक और मन्दिर है जिसे हरिहर मन्दिर कहॉ जाता है
- हरिहर मन्दिर वैष्णव सम्प्रदाय का मन्दिर है
- इस मन्दिर ये मीरॉ मन्दिर भी है
- हरिहर मन्दिर का निर्माण महाराजा कुम्भा ने करवाया था
ऋषभदेव मन्दिर/केसरियानाथ /काला बावजी का मन्दिर:-
- ये मन्दिर उदयपुर के थुलैव गॉव में है
- ये मन्दिर कोयल नदी के किनारे है
- यहॉ मुख्य प्रतिमा भगवान ऋषभदेव/आदिनाथ की है
- यहॉ पर मूर्ति पर केसर का लेप चढ़ाया जाता है
- झील जनजाति के लोग उन्हे काला बावजी के रूप में पूजते है
रथ यात्रा:- आश्विन कृष्ण प्रतिपदा & द्धितीय
मेला चैत्र कृष्ण अष्टमी से नवमी
भील जनजाती के लोग यहॉ पर आर्शीवाद लेने काला बावजी की आण के नाम पूकारते हैा
सास- बहु का मन्दिर/ सहस्त्र बाहु का मन्दिर:- नागदा गॉव
बड़ा मन्दिर, सास बहु का मन्दिर, छोटा मन्दिर, नागदा गॉव
निर्माण:- कालभोज/ बप्पारावल
- छोटे मन्दिर को शेषनाग मन्दिर भी कहा जाता है व यह मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित है
- छज्जो, दिवारो, छतो पर महाभारत एवं रामायण चित्रिण है
- प्रतिहारकालीन महामारू शैली में निर्मित मन्दिर
गोसण बावजी का मन्दिर:- कातनवाड़ा गॉव (उदयपुर)
यहॉ भगतगण पत्थर के बैल चढ़ाते है
महेन्द्रनाथ मन्दिर:- उदयपुर
भगवान कृष्ण का मन्दिर
यह मन्दिर सांझियों के लिए प्रसिद्ध है
गुप्तेश्वर महादेव मन्दिर:- गिर्वा के निकट हाड़ा पर्वत पर
गिर्वा का अमरनाथ
मेवाड़ का अमरनाथ
बोहरा गणेश मन्दिर:- (उदयपुर) निर्माण महाराणा राजसिंह
ईडावा माता का मन्दिर:-
देशनोक (बीकानेर में)
घिनेरू की तलाई/ दियात्रा गॉव (बीकानेर)
जूनागढ़ दुर्ग /बीकानेर दुर्ग
उदयपुर
जावर का विष्णु मन्दिर:- जावर (उदयपुर) जावर की प्रशस्ति
महाराणा कुम्भा की पुत्री रमा बाई को इस प्रशस्ति में वागशिवरी की उपाधि दी गई
वास्तुकार:- ईश्वर
निर्माण:- रामाबाई
सज्जनगढ पैलेस/ दुर्ग:-
उपनाम- मानसून पैलेस, वाणी विलास महल, उदयपुर की मुकुट मणी
निर्माण:- महाराणा सज्जन सिंह
बासदरा की पहाड़ी पर है
महाराजा सज्जन सिंह के गुरू योगेश्वर वाणी
विलास की याद में बनवाया
चन्द्र महल/ सिटी पैलेस:- उदयपुर
फर्ग्यूसन ने चन्द्र महल को विण्डसर महलो की संज्ञा दी
- राय आंगन पहल:- माणक महल
- मोती महल
- दिलखुश महल
- कृष्णा मुरारी महल
- चितेरो की ओबरी /तस्वीरां रो कारखानो
- नव चौकी महल चन्द्र महल में ही
- यहॉ पर महाराणाओं का राजतिलक होता है
- नव चौकी महल उदयसिंह ने बनवाया था
निर्माण:- महाराणा उदय सिंह
1559 उदयपुर नगर
1559 उदय सागर झील
1559 चन्द्र महल / सीटी पैलेस
सहेलियों की बाड़ी:- उदयपुर
- निर्माण महाराणा संग्राम सिंह द्धितीय फतेह सागर झील का वानी आता है
- महाराणा प्रताप की छतरी – उदयपुर में चांवड के बांडोली गॉव में है
- इसका नाम:- भामाशाह
- पून निर्माण:- महाराणा फतेह सिंह
- 8 खम्भों की छतरी है
मोती मगरी- उदयपुर, महाराणा प्रताप का स्मारक, जापानी रॉक गार्डन
मायरा की गुफा:- गोगुन्दा के निकट, मोडी गॉव (उदयपुर)
हल्दी घाटी युद्ध के बाद महाराणा प्रताप ने इसी गुफा में शरण ली
महाराणा प्रताप ने इसी गुफा को अपना शास्त्रागार बनाया
गोगुन्दा:- महाराणा प्रताप का प्रथम राज्यभिषेक 1 मार्च 1572 मेवाड़ की राजस्थानी भी रही गोगुन्दा
आहड़:- आघाटपुर /तामृवती
राजा अल्लट ने इस नगर बसाया
जगत गॉव में जगत अम्बिका का मन्दिर है
चांवड:- महाराणा प्रताप ने लूणा चावंडिया को मारकर चावंड बसाया
प्रताप ने 1585 ई में चांवड को राजधानी बनाया
- महाराणा प्रताप के महल चांवड में ही है
- चांवड शैली
- नाहर मगरा मेवाड़ के महाराणाओं की आखेट स्थल है
- दुघ तलाई पिछोला झील के किनारे स्थित तालाब
- गोदावरी उधान:- उदयपुर, 2003 में अशोक गहलोत ने बनाया है
- जयसमंद झील:- (मीठे पानी की झील)
- निर्माण:- महाराणा जयसिंह
- इसका नाम ढेबर झील भी है
- गोमती नही को रोककर इस झील का निर्माण करवाया
- लम्बाई15 कि0मी0
- चौड़ाई:- 2.5 & 3 K.M.
- भारत की मीठे पानी दुसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील जयसमंद है व प्रथम गोविन्द सागर झील राजस्थान में प्रथम स्थान जयसमंद झील है
- चित्रित हवा महल / रूठी रानी का महल इसी झील के किनारे है
- फतेहसागर झील:- उदयपुर
- निर्माण:- 1688 ईस्वी में महाराणा जयसिंह ने
- पुन: निर्माण:- महाराणा फतेह सिंह
- महाराणा प्रताप का स्मारक पहाड़ी, सौर वैध शाला 1975, अहमदा बाद की सौर वैधशाला द्धारा स्थापित
- नेहरू आइसनैण्ड
- कनॉट बॉध, नींव, ड़यूक ऑफ कॉनट
प्रमुख नदियॉ:-
आयड़ नदी/बेडच नदी:- गोगुन्दा की पहाडि़यो से
समापन:- बीगोद (भीलवाड़ा)
बेड़च नदी:- चितोगढ़ नगर, आकोला गॉव में बड़ली माता का मन्दिर है, आहड़ सभ्यता
उदय सागर झील:- उद्रगम, गोगुन्दा की पहाडि़या (उदयपुर), बीगादे (भीलवाड़ा) बनास नदी
चितौड़गढ दुर्ग दो नदियों के किनारे है जबकि चितौड़गढ़ नगर एक नदी के किनारे है
चितौड़गढ़ दुर्ग:– बेडच नदी, गम्भीरी नदी
चितौड़गढ़ नगर:- बेड़च नदी
सोम नदी:- इस नदी का उदगम बिछामेडा की पहाडि़यॉ , नवाटापुर गॉव (डुगंरपुर) बिछामेड़ा की पहाडियॉ (उदयपुर), भॅवर माता की पहाडियॉ (प्रतापगढ़) वेणेश्वर धाम, माही नदी
साबरमती नदी:-
उदगम:– उदयपुर जिले की अरावली की पहाडियों से
समापन:– खम्भात की खाडी (गुजरात) साबरमती नदी गुजरात राज्य की प्रमुख नदी है
साबरमती नदी, गुजरात, साबरमती आश्रम, अमदाबाद, ये दोनो इसी नदी के किनारे है
खनिज उत्पादन:-
सीसा- जस्ता एवं चॉदी
उदयपुर- जवार की खान भी है
भीलवाड़ा – रामपुरा आगुच्छा है
सीसा-जस्ता, जुडवा खनिज और गलैनो
पन्ना/ हरा पन्ना- हरी अग्नि, देवपुरा और काला गुमान (उदयपुर)
धीया पत्थर , देवपुरा’ सालोज, लोहारपुरा नाथरा की पाल (उदयपुर)
Udaipur District Details in Hindi
Good