टोंक जिले की सम्पूर्ण जानकारी | Tonk District GK in Hindi | टोंक जिला Rajasthan GK in Hindi

आप ‘राजस्थान सामान्य ज्ञान’ के ‘टोंक जिला दर्शन’ की इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें। इसमें आपको राजस्थान जिला दर्शन’ की श्रृंखला में राजस्थान का ‘टोंक जिला दर्शन’ को विस्तृत तरीके से बताएंगे। इसमें टोंक का सामान्य परिचय, टोंक के उपनाम, टोंक का अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार, टोंक का क्षेत्रफल, टोंक के प्रमुख मेले और त्यौहार, टोंक के प्रमुख मंदिर, टोंक के पर्यटन स्थल एवं इसके अलावा जितने भी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न टोंक जिले से सम्बंधित बन सकते थे, उन सभी को शामिल कर पेश किया गया है। 

टोंक जिले का सामान्य परिचय Tonk District

टोंक के उपनामः– (1) राजस्‍थान का लखनउ (2) नवाबों की नगरी (3) हिन्‍दु मुस्लिम एकता का मस्‍कन (4) प्राचीन भारत का टाटा नगर (5) नमदो का शहर

टोंक का प्राचीन नाम रैढ़ है

टोंक का निर्माण 12 गॉवों से मिलकर हुआ था

इतिहासः- मिर्जा राजा मान सिंह ने टोरा और टोकरी पर अधिकार कर लिया

यहॉ के 12 गॉव भोला ब्राहम्‍ण को भेंट कर दिये

  • टोंक जिले का क्षेत्रफल : 7194 वर्ग किलोमीटर। 
  • टोंक जिले की अक्षांश स्थिति : 25 डिग्री 41 मिनट उत्तरी अक्षांश से 26 डिग्री 34 मिनट उत्तरी अक्षांश तक। 
  • टोंक जिले की देशांतरीय स्थिति : 75 डिग्री 7 मिनट पूर्वी देशांतर से 76 डिग्री 19 मिनट पूर्वी देशांतर तक। 
  • टोंक जिले के उपनाम : टाटानगर, नवाबों की नगरी। 
  • टोंक जिले का संभागीय मुखलाय – अजमेर है। 
  • सन 1817 में ईस्‍ट इण्डिया कम्‍पनी से सन्धि के तहत जसवन्‍त होल्‍कर से अमीर खॉ पिण्‍डारी को यह रियासत प्राप्‍त हुई
  • टोंक रियासत के संस्‍थापक अमीर खॉ पिण्‍डारी , अग्रोजो द्वारा निर्मित राज्‍य में दुसरी रियासत
  • राज्‍य की एक मात्र मुस्लिम रियासत

टोंक जिले के प्रमुख बॉधः-

1 बीसलपुर बॉध से पेयजल व्‍यवस्‍था प्राप्‍तः- अजमेर, जयपुर, टोंक, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर

2 टोरडी सागर बॉध, 3 गलवा बॉध 4 माशी बॉध

मौलाना अब्‍दुल कलाम आजाद अरबी- फारसी शौध संस्‍थान

स्‍थापना 1978 ईस्‍वी में दुलर्भ पुस्‍तको व साहित्‍य का भण्‍डार

आलमगिरी कुरान- औरंगजेंब द्वारा लिखित

” कमाले कुरान की आयते” शाहजहॉ के द्धारा लिखित पुस्‍तके इसी संस्‍थान में सुरक्षित है

विश्‍व की सबसे बडी कुरान/कुरान की आयतें इसी संस्‍थान मे सुरक्षित है

माण्‍डकला गॉव (टोक):- मिनी पुष्‍कार माण्‍डव ऋषि की पतों भूमि

चौरासी बोली- ढूढाडी/ जयपुरी/ झाड़शाही की प्रमुख उपबोली

टोंक जिले के प्रमुख मेले:-

(1)बीसलपुर मेला- बीसलपुर (टोंक) तिथि वैशाख पूर्णिमा

(2) वैशाख पूर्णिमा भाद्रपाद, श्रवण अमास्‍या, डिग्‍गी कल्‍याण जी का मेला डिग्‍गी मालपुर

(3) देवथाम जोधपुरिया- देवनारायण जी का मेला , निवाई टोंक

तिथि – भाद्रपद शुक्‍ल 6 माघा पूर्णिमा

(4) पुलानी मेला – डिग्‍गी

(5) पिपलू मेला- पिपलू गॉव

चांदसेन पशु मेला – यह मेला टोंक जिले के मालपुरा कस्बे के पास चांदसेन  नामक  बांध पर भरता है। यह मार्च-अप्रैल माह में भरता है। 

टोंक जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल/पर्यटन स्थल

सुनहरी कोठी:– मूलत: इस दो मंजिला महल का नाम शीश महल था

निर्माण आरम्‍भ- अमीर खॉ पिण्‍डारी सन 1824

पूर्ण निर्माण – बजीरूछौला खॉ सनद्य 1834

द्धितीय मंजिल निर्माण- इब्राहीम खॉ, स्‍वर्ण की नक्‍काशी इब्राहीम खॉ ने करवाया

शीश महल निर्माण:- अमीर खॉ पिण्‍डारी, पूर्ण निर्माण:- वजीरूछौला ने करवाया

मुबारक महल:- जेईपुर, चन्‍द्रमहल / सिटी पैलेस

निर्माण- सवाई माधोसिंह द्धितीय

अतिथियों को ठहराने के लिए इस महल का निर्माणा करवाया था

मुबारक महल – हिन्‍दु शैली, युरोपीय शैली मुस्लिम शैली, तीन शौलीयो के समन्‍वय के लिए

मुबारक महल (टोंक):- ईद के अवसर पर यहॉ इस महल में उॅट की बली दी जाती थी

निर्माण- बजीरूछौला

टोडारायसिंह नगर:- टोंक

रायसिंह द्धारा बसाया गया परगाना

रायसिंह के महल यही स्थित है

लाल पठान काा दुर्ग

(1) सरड़ा रानी की बावड़ी

(2) ख्‍वाजा की बावड़ी

(3) हाड़ी रानी की बावड़ी

बुध सागर सरोवर:- निर्माण, बून्‍दी के शासक बुध सिंह द्धारा

सतलोज सागर सरोवर

संत पीपा जी गुफा

तपस्‍या ज्ञान की प्राप्ति मृत्‍यु

लावा:– लावा राजस्‍थान का एक ठिकाना था जो कुशलगढ, लावा, नीमराणा

एकीकरण के समय लावा

ठिकाना जयपुर राज्‍य में था

वर्तमान में एक टोंक जिले में है

टोंक जिले के प्रमुख मन्दिर:-

(1) डिग्‍गी कल्‍याण जी का मन्दिर:– डिग्‍गी मालपुरा मार्ग पर स्थित है

  • यहॉ भगवान विष्‍णु की प्रतिमा चतुर्भुजी है
  • निर्माण- राजडिग्‍वा
  • मेवाड़ के शासक राणा सांगा केेकाल में
  • मुस्लिम इसे कंलह पीर के नाम से जानते है
  • मेला तिथि :- श्रवण अमावस्‍या माघ भाद्रपद
  • इस मन्दिर आने वाले भक्‍त जयपुर के ताड़केश्‍वर मन्दिर में दर्शन करके यहॉ पर दण्‍डवत परिक्रमा करते हुये आते है

देव धाम जोधपुरिया:– (निवाई टोंक) यहॉ लोक देवता देवनारायण जी की बहुत बड़ी धाम है

जामा मस्जिद / शाही मस्जिद :-

निर्माण- अमीर खॉ पिण्‍डारी

रामद्धारा सोड़ा:- रामस्‍नेही सम्‍प्रदाय का एक मुख्‍य तीर्थ स्‍थल

1720 में सोडा गा्रम रामचरण जी का जन्‍म हुआ

मालपुरा :- कपास उत्‍पादन के प्रसिद्ध

सरसों के उत्‍पादन के लिए प्रसिद्ध

नामदा व बीड़ी उधोग के लिए प्रसिद्ध

पचेवर किला- पाड़ा चक्‍की

ककोड़ का किला:- टोंक

अमीरगढ़ / असीरगढ़ का किला (टोंक)

महत्‍वपूर्ण तथ्‍यः-

  • चारबैत –  यह पठानी मूल का लोकनाट्य है। राजस्थान में सर्वप्रथम टोंक के नवाब फैजुल्ला खां के समय अब्दुल करीम खान एवं खलीफा करीम खान, निहंग खान द्वारा शुरू किया गया था।  जामा मस्जिद मालपुरा टोंक में स्थित है। 
  • रैढ़/रहड़ सभ्यता – यह टोंक जिले की निवाई तहसील में स्थित है। यहां से गजमुखी यक्ष की मूर्ति एवं एशिया का सबसे बड़ा सिक्कों का भंडार मिला है।
  •   नगर सभ्यता – यह भी टोंक जिले में है। 
  • नामदा उधोग के लिए टोंक जिला अग्रणी है
  • मीठे खरबूजो के उत्‍पादन के लिए राज्‍य भर प्रसिद्व है
  • चारबैत शैली का सम्‍बन्‍ध टोंक से है, राज्‍य में इस शैली का एक मात्र केन्‍द्र टोंक है, भारत में इस शैली के जन्‍मदाता कबीर खॉ
  • चारबैत शैली को प्रसिद्व बनाने का श्रेय फैजुल्‍ला खॉ को दिया जाता है
  • टोंक जिले में गुमानपुरा गॉव हाथी भाटा है (1) अजमेर में (2) गुमानपुरा गॉव में
  • टोंक जिले की सबसे बडी नदी बनास नदी है, इसी नदी के किनारे ” बीसलपुर बॉध” है
  • राजमहल (टोंक में) त्रीवेणी संगम (1) बनास नदी, (2) डाई नदी, (3) खारी नदी, गौकर्णेश्‍वर महादेव का मन्दिर रावण ने यहॉ पर शिव की आराधना की बीसलपुर

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