नागौर जिले के उपनाम/प्राचीन नाम,पर्यटक स्थलः- नागौर दुर्ग- नागौर ,नागौर जिले के प्रमुख मंदिर/शीर्ष मंदिर ,नागौर जिले के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न/तथ्य
Table of Contents
नागौर जिले के उपनाम/प्राचीन नाम | Nagour
नागौर:- नागपुर, अहिच्छत्रपुर, अनन्तपुर-नाग/सर्प
महाभारत काल में- जांगल प्रदेश
चौहान काल- सपादलक्ष / शाकम्बरी
जांगलदेश प्रदेश व सपादलक्ष की राजधानी रहा है
स्थापना:- (1) शाकम्भरी के चौहानो द्धार (2) नाग वंर्शाय राजाओं
- शाम्भू खॉ नागौर के प्रथम मुस्लिम स्वतंत्र शासक थे
- मारवाड़ के युवराज
- शाहजहॉ – अमरसिंह राठौड़ को दे दिया
- फरूख शियर ने बख्त सिंह को राजा बना दिया
- राव मालदेव ने वीरमदेव मेड़तियॉ से 1535 में मेडता छीन लिया
- मेवाड़ के महाराणा- राणाहम्मीर सिसोदिया सांगा कुम्भा
- चौहान- पृथ्वीराज चौहान तृतीय
नागौर धातु नगरी लौहा नगरी
जैसलमेर बीकानेर दरबार – उदेश्य- अकालराहत कार्ये नागौर दुर्ग 1570 अकबर के द्धारा इस दिन शुक्र तालाब का निर्माण करवाया
राव कल्याणमल भाद्राजूण राव चन्द्रसेन राव बीरमदेव मेड़ता
मारवाड़ के शासको की परतत्रंता की अन्तिम कडी
दरबार को लगाने में भारमल ने मदद की थी
प्रमुख मेले- सर्वाधिक पशु मेले
- चारभुजानाथ मेला/मीरॉ बाई मेला:- मेड़ता सिटी
- हरीराम जी का मेला- झोरड़ा गॉव
- दधिमती माता का मेला- मांगलोद
- लक्ष्मी नारायण झूला का मेला-मौलासर
- तारकीन का उर्स-नागौर, अजमेर के बाद राज्य का सबसे बडा उर्स
पशु मेले:-
- बाबा रामदेव पशु मेला:- मानासर गॉव
- श्री बलदेव राम मिर्धा पशु मेला- मेड़ता
- तेजा जी का पशु मेला- परबतसर
- श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक भरता है
- तेजाजी का मेला- महाराजा अजीत सिंह ने आरम्भ करवाया था
- आय/आमदनी की दूर्ष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा मेला है
नागौर जिले के प्रसिद्ध तथ्य:-
राजस्थान की प्रथम रेल बस – मेड़ता सिटी से 20 अक्टुबर 1993 रेल नाम (ईजरा रेल बस) मेड़ता रेल (फलौदी) तक चली
राजस्थान में सर्वप्रथम पंचायतीराज व्यवस्था का गठन- प0 जवाहरलाल नेहरू के द्धारा बगदरी गॉव में उदघाटन
ताउसर गॉव:- (1) अप्पा जी सिन्धियॉ की छतरी (2) मैथी के लिए प्रसिद्ध
टॉकला गॉव:– दरियों के लिए प्रसिद्ध
बडू गॉव:- जुतियों के लिए प्रसिद्ध है
सुहालक प्रदेश:– नागौरी बेलो के लिए
वरूण गॉव:- यहॉ की बकरियॉ प्रसिद्ध है
अकबर के नवरत्न में तीन नागौर के थे
(1) बीरबल (2) अबुल फजल (3) फैजी
कविवृन्द– नागौर औरंगजेब के दरबारी
पर्यटन स्थल- मीरा बाई का पैनोरेमा- मेड़तासिटी, जाम्भोजी का पैनारेमा -पीपासर गॉव, साॅई जी का टॉका- चूटिया गॉव, अमर सिंह राठौड की छतरी – झड़ा तालाब के किनारे (नागौर)
डी-बॉझ की कब्र- मेड़ता सिटी
अप्पाजी सिन्धिया की छतरी – ताउसर गॉव
9 शहीदों की मजार – मेड़ता सिटी
आखेट निषेध क्षैत्र्– रोट गॉव
राजस्थान के केन्द्र में नागौर जिला स्थित है
आकार की दृर्ष्टि से छटा स्थान प्राप्त है
गॉराउ व कुराड़ा गॉव स्वतंत्रता से पूर्व ताम्र उपकरणो के उल्खनन हेतु प्रसिद्ध है
#पर्यटक स्थलः- नागौर दुर्ग- नागौर
कुचामन दुर्ग- कुचामन
मालकोट दुर्ग- मेड़ता
रिया का गढ़ – रियॉं
मेडता सिटीः- राव जोधा के पुत्र राव दूदा ने 1518 ईस्वी में मेडता बसाया, राठौड वंश की शाखा (मेडतिया शाखा) दूदागढ़ का दुर्ग (राव दूदा ने बनाया)
कृष्ण मन्दिर /चारभुजा नाथ / मीरॉ बाई मन्दिर- राव दादू
पुजारीः- चर्मकार/चमार, श्री कृष्णकी मूर्ति
संत रैदास
तुलसी दास एवं मीरॉ बाई की आदमकद प्रतिमाऐं
प्रतिहार शासक नागभटट प्रथम ने अपनी राजस्थान मंडोर से मेड़ता स्थापित की
प्राचीन नाम- मेडतापुर, मेडन्तकपुर, मेदिनीपुर
पश्चिमी भारत एवं उतर भारत को राजमार्ग जोडने का प्रमुख केन्द्र था
मेडता में मालकोट दुर्ग व शाहजहानी मस्जिद है
मालकोट दुर्ग शाहजहानी मस्जिद
मेडतासिटी मीराबाई के मन्दिर के पिछे
निर्माण -राव मालदेव सन 1556 इस्वी में इस दुर्ग के निर्माणः- औरंगजेब द्धारा निर्मित
भीतर एक प्राचीन बावडी है
अबुल फजल एवं फैजी ने इस दुर्गा में राव मालदेव से मुलाकात की
डागोलाई तालाब के किनारे- डी – बॉईन की कब्र
मोंन के लिए मेता सिटी प्रसिद्ध –
एक प्रकार के काले मटके होते है
डीडवाना:- शेखावाटी का सिंहद्धार- माखाड़ का अन्तिम नगर
आयानगरी व उपकाशी- संस्कृत में अग्रणी होने के कारण
हरिरामदास जी- राजस्थान के लोकदेवता
गढा का बास गॉव (डीडवाना) निरंजनी सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ
बाबा नृसिंह दास जी:-
इन्होने अपनी सम्पूर्ण सम्पत्ति गॉधी जी को भेट कर दी
गॉधी जी ने इनको बाबा की उपाधि दी
भामाशाह के रूप में मान्यता प्राप्त
#बाबा नृसिंह दास जी ने ” भारत तिलक” हिन्दी पत्र इन्होने मद्रास से चलाया
परबतसर:- तालाबों एवं कूपों की नगरी, छप्पनियां तालाब, गिगोंली की घाटी-
गिगोंली का युद्ध (1807)
मारवाड़ जयपुर
महाराजा मानसिंह जगतसिंह द्धितीय
हार विजय
लॉडनू:- जैन विश्व भारती -डीम्ड विश्व विधालय
आचार्य तुलसी की जन्म भूमि 1971 आचार्य तुलसी की प्ररेणा
आचार्य तुलसी – अगुवृत आन्दोलन, नया मोड अभियान सामाजिक कुरीतियॉ के लिए चलाया गया अभियाना
खबासरपुरा गॉव (नागौर)ः-
शेरशाह सुरी के सेनापति खवास खॉ के नाम यह खवासपुरा गॉव कहलाया, मृत्यु इसी गॉव में हुई
मीरॉ सग्रंहालय :- मेड़ता सिटी (दादूगढ़ दुर्ग में)
कुचामन दुर्गः- मारवाड़ राज्य का ठिकाना
जागीरी का सिरमोड भी कहा जाता है
पनखड़ी साधू के आर्शीवाद से निर्मित है
यहॉ कुचामनी सिक्को चलते है
इसकी नींव में घी भरा गया था
सुल्तान उत- तारकीन की दरगाह
संत हम्मीदुदीन नागौरी की दरगाह – नागौर
प्रवेश द्धार:- बुलन्द दरवाजा
ख्वाजा गरीब नवाज – केने संत हम्मीदूदीन को अपना शिष्य बनाया तथा ” सुल्तान उत्त – तारकीन की उपाधि दी
अर्थ (सैन्यासियो का /त्याग का सुल्तान)
इस दरगाह में उर्स लगता है
अजमेर के बाद राज्य का सबसे बड़ा उर्स
नागौर जिले के ” सुवाल गॉव” में खेती करते है
यह शाहकारी जीवने बिताने का उपरेश देते है
बडे पीर की दरगाहः– नागौर, सैध्यद सैफुदीन अब्दुल पहाब की दरगाह है
कादरिया सिलसिला के भारत में जन्मदाता भारत में कादरिया शाखा की सबसे बड़ी मस्जिद
नागौर जिले के प्रमुख मंदिर/शीर्ष मंदिर
दघिमती माता का मन्दिरः- गोठ – मांगलोद, 9 वी सदी में निर्मित
प्रतिहार कालीन महामारू शैली दाहिमा / दाधिज बाहम्णें की कुलदेवी
कैवाय माता/ कणिसरिया माताः– किासरिया (परबतसर)
निर्माण- 999 ईस्वी में निर्मित
दुर्लभराय चौहान का शिलालेख की मिलता है
भॅवाल माता का मन्दिरः- भॅवाल गॉव , पंचायन शैली में निर्मित (मेला- चैत्र कृष्ण 8 ) अर्ढा प्याला भोग लगाया जाता है
बंशीवाले का मन्दिरः– नागौर
गौरी शंकर हीराचन्द औसा ने इस मन्दिर के मूरली धर मन्दिर कहा
पाडा माता/ सरकीमाता का मन्दिरः- डीडवाना झील के किनारे
तेजा जी का मन्दिरः– खड़नाल (नागौर)
यहॉ पर तेजाजी के साथ पेमल सती हुई थी
लाछा गुर्जरी की छतरी
गुसाई जी का मन्दिरः– जुजॉल /गॉव गुस्से के अवतार
बबल का धणी – बबल, यहॉ पर चप्पले चढाई जाती है
सांई जी टॉका- चूटीसरा गॉव
नागौर जिले के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न/तथ्य
- जोजड़ी नदी – जोजड़ी नदी का उद्गम नागौर के पाड़लू गांव से होता है। यह नदी लूनी नदी की एकमात्र सहायक नदी है, जो दाएं किनारे से मिलती है व इसका उद्गम अरावली की पहाड़ियों से नहीं होता है।
- नागौर जिले के प्रमुख बांध एवं बावड़ियां – प्रताप सागर, हरसोर बांध, पीरजी का नाका, भाकरी आदि।
- नागौर जिले की प्रमुख मंडियां – खुशबू वाली मेथी की मंडी (ताऊसर, नागौर में), जीरा मंडी (मेड़ता सिटी, नागौर में)
- नागौर जिले में खनिज संपदा – नागौर जिले के डेगाना से टंगस्टन का उत्पादन होता है। यह देश की एकमात्र सबसे बड़ी टंगस्टन की खान है। (टंगस्टन एक उच्च गलनांक वाली धातु है जो सामरिक कार्यों में व विद्युत सामान बनाने में उपयोगी होती है)
- मेड़ता रोड, सोनारी तथा मातासुख कसनाऊ (नागौर) से कोयला उत्पादित होता है। जिप्सम/सेलखड़ी/हरसौट का उत्पादन नागौर जिले के गोठ मांगलोद, भदवासी से होता है।
- मतीरे री राड़ युद्ध – 1644 ईस्वी में नागौर के अमरसिंह राठौड़ तथा बीकानेर के करणसिंह के मध्य हुआ जिसमें अमरसिंह विजय हुआ था।
- गिंगोली का युद्ध – यह 1807 ईस्वी में परबतसर गांव में जयपुर के जगतसिंह द्वितीय एवं जोधपुर के मानसिंह राठोड के मध्य हुआ जिसमें जगतसिंह विजय हुआ था।
- देश व राजस्थान में लिग्नाइट पर आधारित प्रथम भूमिगत विद्युत संयंत्र मेड़ता सिटी (नागौर) में है।
- राजस्थान का प्रथम सौर बिजली घर खींवसर (नागौर) में है।
- जेके व्हाइट सीमेंट का कारखाना – इसकी स्थापना 1984 ईस्वी में नागौर के गोटन में की गई थी। यह राजस्थान का प्रथम सफेद सीमेंट का कारखाना है।
- राजस्थान राज्य का मध्य का जिला नागौर जिला है।
- लोहारपुरा (नागौर) में लोहे के हस्त औजार बनते हैं।
- अकबर के नवरत्न कहे जाने वाली दरबारियों में से बीरबल, अबुल फजल तथा फैजी नागौर जिले से संबंधित थे।
- कुचामन (नागौर) में मारवाड़ राज्य की टकसाल थी, जिसमें ढले हुए सिक्के कुचामनी सिक्के कहलाते थे।
- नागौर जिले के गांव टांकला की दरिया एवं बडू की जूतियां प्रसिद्ध है।
- राजस्थान का पहला आदर्श लवण पार्क नावा (नागौर) में स्थित है।
- देश की पहली रेल बस सेवा 12 अक्टूबर, 1994 ईस्वी को मेड़ता रोड से मेड़ता सिटी के मध्य नागौर जिले में शुरू हुई थी।
- राजस्थान का पहला सफेद सीमेंट का कारखाना गोटन (नागौर) में स्थित है।
- देशभर में राजस्थान में सर्वप्रथम 2 अक्टूबर 1959 ईस्वी में पंचायती राज व्यवस्था का नागौर के बगदरी गांव से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उद्घाटन किया था।
- राजस्थान में सर्वाधिक पशु मेलों का आयोजन नागौर जिले में होता है।
- राजस्थान में सर्वाधिक खारे पानी की झीले नागौर जिले में स्थित है।
- राजस्थान में न्यूनतम अनुसूचित जनजाति जनसंख्या का अनुपात नागौर जिले में है।
- कुचामनी ख्याल – इसके प्रवर्तक लच्छीराम थे। इस ख्याल का स्वरूप ओपेरा जैसा है तथा इसमें लोकगीतों की प्रधानता है।
- लोकदेवता हड़बूजी का जन्म नागौर जिले के भूण्डले में मेहाजी सांखला के घर हुआ था।
- लोक देवता तेजाजी का जन्म खरनाल गांव नागौर में हुआ था।
- हरिराम बाबा का जन्म झोरडा गांव नागौर में हुआ था। उनके पिता जी का नाम रामनारायण था।
- नागौर जिले के प्रमुख संप्रदाय – नवल संप्रदाय, निरंजनी संप्रदाय, दासी संप्रदाय, रामस्नेही संप्रदाय की रैण शाखा आदि।
- शाह जामा मस्जिद नागौर जिले में है।
- लाछा गुर्जरी की छतरी नागौर जिले में हैं।
- अमरसिंह राठौड की छतरी नागौर जिले में है।
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