जोधपुर जिले की सम्पूर्ण जानकारी | Jodhpur District GK in Hindi

Jodhpur District History,जोधपुर जिले के प्रमुख मेले, जोधपुर में मीठे पानी की झीलें , जोधपुर जिले के दर्शनीय स्थल/पर्यटन स्थल

Jodhpur District History

‘थार मरुस्थल का प्रवेशद्वार’ एवं ‘सूर्य नगरी’ के उपनाम से प्रसिद्ध जोधपुर शहर की स्थापना 1459 ईस्वी में राठौड़ शासक राव जोधा ने की थी। जोधपुर में मेहरानगढ़ दुर्ग जिसे जोधपुर दुर्ग भी कहा जाता है, का निर्माण भी 1459 ईसवी में चिड़िया टूंक पहाड़ी पर करवाया गया था। इसी पहाड़ी के पास वर्तमान जोधपुर शहर बसाया गया एवं इसे अपनी राजधानी बनाया गया। जोधपुर में 1814 ईसवी में नगर परिषद बनी। जोधपुर का क्षेत्रफल : 22850 वर्ग किलोमीटर हैं

जोधाणा

जोधपुर- 10 माई 1933 में पड़ा

उपनामः- सूर्य नगर

नीला नगर- बहम्‍ण अपने घरो का रंग नीला करवाते थे इसलिए इसे नीला नगर कहते है

  • पोलो का घर
  • राजस्‍थान की सांस्‍कृतिक राजधानी
  • थारमरूस्‍थल का प्रवेश द्वार
  • मारवाड की राजधानी भी कहा जाता था

जोधपुर में मीठे पानी की झीलें 

  • कायलाना झील (जोधपुर) –  यह झील जोधपुर से लगभग 8 किलोमीटर पूर्व में है। यह झील शुरू में एक प्राकृतिक झील थी। इसको वर्तमान स्वरूप सर प्रताप सिंह ने 1872 में दिया था। इस झील से जोधपुर शहर को जलापूर्ति की जाती है। वर्तमान में इस झील में “राजीव गाँधी केनाल” का पानी आता है। माचिया सफारी पार्क भी कायलाना झील के किनारे स्थित है। इंडोलाई का तालाब जोधपुर जिले में स्थित है, जहां डोलोमाइट पाया जाता है। यही पर कागा की छतरियां है। 
  • बाल समंद झील (जोधपुर) – यह झील जोधपुर-मंडोर मार्ग पर जोधपुर में स्थित हैं। इसका निर्माण 1159 ईस्वी में परिहार शासक राव बाउक (बालक राव प्रतिहार) ने करवाया था। इस झील के बीच में महाराजा सुरसिंह ने अष्ट खम्भा महल का निर्माण करवाया था। 
  • सरदार समंद झील – इस झील का निर्माण महाराजा उम्मेदसिंह द्वारा जोधपुर जिले में करवाया गया।  

जोधपुर जिले के प्रमुख मेलेः-

1 रामदेव जी का मेला/बालीनाथ जी का मेला- मसूरिया पहाड़ी पर ( भा0 शु0 द्वितीय)

2 वीरपुरी का मेला- मडोर

3 नाग पंचमी का मेला- मंडोर

4 खेजडली वृक्ष मेला- खेजड़ली गॉव में – भा0 शु0 दशमी

विश्‍व का एक मात्र वृक्ष मेला

5 फलौदी मेला- फलौदी

6 धींगा बेतमार मेला- जोधपुर (वैशाख कृष्‍ण 3)

7 कपरड़ा पशु मेला- कापरड़ा (जोधपुर)

जोधपुर जिले के दर्शनीय स्थल/पर्यटन स्थल

राज्‍य में मिटटी की प्रथम प्रयोगशाला

देश का दुसरा आयुर्वेद विश्‍वविधालय

प्रथम गुजरात

राजस्‍थान का प्रथम हाईटेक डाकघर पुष्‍कर

प्रथम सरकारी डाकघर सन् 1838

राजस्‍थान का प्रथम रेडिया प्रसारण 1940 मे

देश का प्रथम ऑनलाईन न्‍यायालय

राजस्‍थान की प्रथम फुटबॉल एकादमी

मधानिया– सुर्ख लाल रंग की मिर्च के लिए

राजस्‍थान में सर्वाधिक परती भूमि वाला जिला

रियाणः– अफीम से मनुहार करने की प्रथा

बिलाड़ाः– राज्‍य का प्रथम अश्‍व प्रजनन केन्‍द्र

सर्वाधिक इमारती पत्‍थर का उत्‍पादन

वन मंडलः- राजस्‍थान में क्षैत्रफल की दृर्ष्टि जोधपुर वन मंडल सबसे बड़ा

फोगः– जोधपुर में छितराई रूप में पायी जाने वाली झाडियां

पालगॉवः- राज्‍य का प्रथम फिल्‍मसिटी

इस गॉव को शिल्‍पग्राम का दर्जा दिया गया

बापः– राज्‍य का कोयले पर आधारित प्रथम बिजली घर

देश की प्रथम एडवोकेट एकेडमी

उत्‍तरी भारत का एक मात्र रावण मन्दिर

राज्‍य का प्रथम स्‍पाइसपार्क

फलौदीः– राजस्‍थान का सबसे शुष्‍क स्‍थल

धावा डोली अभ्‍यारण्‍यः– कृष्‍ण मृगाों के लिए

धुडला त्‍योहारः– बादला (जिंक से बना एक जलपात्र)

चूनरीः– मोचडी उधोग ” जोधपुरी साफा”

जोधपुर कोट पेंट को राष्‍ट्रीय पौशाक का दर्जा प्राप्‍त है

ईसबगोल शोध संस्‍थान -मंडोर

खीचन गॉवः- फलौदी, अप्रवासी पक्षीयों के लिए डेमोसिल क्रेन पक्षियों की शरण स्‍थली

कुरजॉ पक्षी के लिए प्रसिद्व है

बीजोलाई के महल- जोधपुर, कायलाना झील के किनारे महाराजा तख्‍तसिंह के द्वारा शिकारग्रह के रूप में निर्मित है

राजस्‍थान उच्‍च न्‍यायालयः- जोधपुर

खंडपीठः- जयपुर में

निर्माण – सन्र 1935 (महाराजा उम्‍मेद सिंह)

एक थम्‍बा महलः- मंडोर में

उपनाम- प्रेहरी मीनार

निर्माणः- महाराजा अजीत सिंह

एक थम्बिया महल- डुंगरपुर

खेजड़ली (जोधपुर)ः- यहा एक खेजड़ली हत्‍याकाण्‍ड हुआ 1730 में( महाराजा अभयसिंह के शासनकाल में)

84 गॉव के बिश्‍नोई लोगों ने खेजड़ी के वृक्ष की रक्षा अपने प्राणों से की

363 लोग शहीद हुऐ थे

हत्‍यकाण्‍ड के लिए आदेश गिरधर सिंह ने दिया था

1 अरणा झरना- जोधपुर

2 अजीत सिंह का देवल- देवल मंडोल में मारवाड़ के शासकों की छतरियॉं

देवल- डीडवाना झील में नमक की क्‍यारियॉ है

यहॉ महाराजा अजीत सिंह की छतरी यही हैा

3 सरदार क्‍लॉक टावरः– इसे घण्‍टाघर कहॉ जाता है

महाराजा सरदार सिंह द्वारा निर्मित इग्‍लैण्‍ड से इसे लाया गया था

महिला बाग झालराः– जोधपुर

महाराजा विजय सिंह की पासवान गुलाबराय द्वारा निर्मित

यहॉ पर मेला भरता है- लौटिया का मेला

उपाधि- विजय सिंह- मारवाड का जहॉगीर

गुलाबराय– मारवाड़ की नूरजहॉ

4 उम्‍मेद उधानः– जोधपुर

निर्माण- महाराजा उम्‍मेद सिंह

जोधपुर का पब्लिक पार्क भी कहा जाता है

जोधपुर का सबसे बड़ा उधान – मंडोर उधान

दुसरा सबसे बड़ा उधान – उम्‍मेद उधान

5 तुवंर जी झालरा- जोधपुर, यह एक जलाशय /बावडी है

निर्माण- महाराजा अभयसिंह की रानी तुवंर जी ने

तापी बावडीः- जोधपुर

गुलाब सागरः- जोधपुर, जलाशय है व

गुलाब सागर का बच्‍चा जलाशय है

निर्माण – महाराजा विजय सिंह की पासवान

गुलाबराय द्वार

मेहरानगढ़ फोर्टः-

चिडियांटूक /पचेटिया पहाडी, 12 मई 1459 ईस्‍वी में (रावजोधा ने)

तलहटी का महलः- जोधपुर

निर्माण – सवाई सूरसिंह की पत्‍नी सौभाग्‍य देवी द्वार

अधारशिला रामसापीर मन्दिर- जालोरियो का बास (जोधपुर)

संबोधधिामः- कायलाना झील के निकट, जैनधर्म का मन्दिर

सच्चिया माता का मन्दिरः- औसिया, औसवाल जैन समुदाय, परमार वंश की कुलदेवी

महामंदिर – जोधपुर

नाथ सम्‍प्रदाय का मन्दिर 84 खम्‍भो का मन्दिर

निर्माणः- महाराजा मान सिंह द्वार

राजा रणछोड जी मन्दिरः- जोधपुर, महाराजा सरदार सिंह द्वारा निर्मित

जसवंत थडा – जोधपुर

राजस्‍थान का ताजमहल मारवाड केे राठौड वंश का शाही शमशान स्‍थल

मारवाड की एक मात्र इमारत जो सफेद पत्‍थरो से निर्मित

निर्माणः- महाराजा सरदार सिंह ने अपने पिता जसवतसिंह द्वितीय की स्‍मृति में करवाया

उम्‍मेद भवनः- जोधपुर, छीतर पैलेस

निर्माण – महाराजा उम्‍मेद सिंह द्वारा (1928- 29) इसी में घडियों का संग़्रहालय संचालित है

छीतर पत्‍थरो से निर्मित

वास्‍तुकार- 1 स्‍टीवन जैकेन 2 विधाधर राव

इसको विश्‍व का सबसे बडा रियासती महल

अजीत भवनः- जोधपुर देश की प्रथम हेरिटेज होटल

निर्माणः- महाराजा हनुपन्‍त सिंह के पीएम अजीत सिंह द्वारा निर्मित

मंडोर बागः- मंडोर

जोधपुर जिले का सबसे बडा उधान 33 करोड देवी – देवताओं की साल है

ओसियाः- राजस्‍थान का भुवनेश्‍वर

प्राचीन नामः- पकेश पठन

(1) औसिया का सूर्च मन्दिर (2) हरिहर मन्दिर (3) महावीर स्‍वामी का मन्दिर – उतरी भारत का सबसे प्राचीन महावीर स्‍वामी का मन्दिर

प्रतिहार कालीन महामारू शैली में निर्मित

जोधपुर के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न/तथ्य 

  • बिरला व्हाइट सीमेंट उद्योग – इसकी स्थापना खारिया खंगार (भोपालगढ़) जोधपुर में की गयी। यह राजस्थान का सबसे बड़ा सफेद सीमेंट का कारखाना है। 
  • राजस्थान के जोधपुर जिले की आकृति मयूराकार है। 
  • विश्व का एकमात्र खेजड़ली वृक्ष मेला जोधपुर में भरता है। 
  • विश्व का सबसे बड़ा रिहायशी महल – ‘छीतर महल/उम्मेद भवन’ जोधपुर में है। 
  • जोधपुर चित्र शैली –  जोधपुर चित्रकला शैली की विशेषताएं – रेत के टीले, कौए, चिंकारा, ऊँट,  घोड़े,छोटी-छोटी झाड़ियां आदि का चित्रण। इस शैली का स्वर्णकाल मालदेव के शासनकाल में था। यह शैली नाथ सम्प्रदाय से सम्बंधित है। जोधपुर शैली के प्रमुख चित्रकार – देवदास, शिवदास, रामा, नाथा, छज्जू और सैफू आदि। जोधपुर लघु चित्रकला को हाथ से तैयार किया गया है। यह चित्रकला शैली ऊँट की पीठ पर ढोला और मरू जैसे प्रसिद्ध प्रेमियों के दृश्यों को दर्शाती है। मारवाड़ शैली में ‘रागमाला चित्रावली’ का चित्रांकन वीरजी ने 1623 ईस्वी में किया था। 
  • देश का प्रथम कोयला आधारित बिजली घर ‘बाप’ जोधपुर में है। 
  • भारत का प्रथम राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, ‘मण्डौर’ जोधपुर में है। 
  • देश का प्रथम मरु वानस्पतिक उद्यान (माचिया सफारी पार्क में) जोधपुर में है। 
  • भारत का प्रथम सौर ऊर्जा चलित फ्रिज ‘बालेसर’ जोधपुर में है। 
  • देश की प्रथम खजूर पौधशाला का निर्माण चौपासनी (जोधपुर) में है। 
  • देश का सबसे बड़ा पाण्डुलिपि भंडार ‘राजस्थान प्राच्य विद्या संसथान’ जोधपुर में है। 
  • जोधपुर की प्रमुख हस्तकलाएं – बादला (जस्ते से निर्मित ठन्डे पानी के बर्तन), मोजड़ियां, साफा,  हाथी दांत की चूड़ियां, बंधेज का कार्य, चमड़े के बटवे, मलमल का कार्य (मथानियाँ गांव में), मोठड़ा (लुगदी पर किया हुआ कार्य) आदि। 
  • देश का पहला रेलवे मेडिकल कॉलेज जोधपुर में है। 
  • राजस्थान का पहला सरकारी डाकघर 1839 ईस्वी में जयपुर में है। 
  • राजस्थान में निजी क्षेत्र का प्रथम इनलैंड कंटेनर डीपो जोधपुर में है। 
  • राजस्थान का प्रथम हेरिटेज होटल, फ्लाइंग क्लब, जीरा मंडी, एयरफोर्स फ़्लाइंग कॉलेज, सूर्य उद्यान, आईआईटी केंद्र आदि जोधपुर में है। 
  • खंभाहीन शहर (Pole Less ) जोधपुर है। 
  • ई. पेशी से जुड़ने वाला पहला जिला जोधपुर जिला है। 
  • देश एवं राजस्थान का प्रथम ऑनलाइन जिला न्यायालय – जोधपुर जिला न्यायालय है। 
  • प्रथम स्पाईस (मसाला) पार्क रामपुरा भाटियान गांव (ओसियां) जोधपुर में है। 
  • उत्तरी भारत व राजस्थान में रावण का पहला मंदिर – मंडोर (जोधपुर) में है। 
  • राजस्थान में जीवों की रक्षार्थ पहला बलिदान 1604 ईस्वी में कर्मा एवं गौरा के नेतृत्व में रामासड़ी गांव (जोधपुर) में है। 
  • राजस्थान का सर्वाधिक ऊन उत्पादक जिला – जोधपुर जिला। 
  • राजस्थान का सर्वाधिक आखेट निषिद्ध क्षेत्र वाला जिला – जोधपुर जिला। 
  • राजस्थान में सर्वाधिक शुष्क स्थान – फलौदी (जोधपुर) है। 
  • जोधपुर जिला जोधपुर संभाग के अंतर्गत आता है। जोधपुर संभाग में इसके अलावा अन्य जिले – जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर, सिरोही तथा पाली जिले है। 
  • जोधपुर के प्रमुख बांध एवं बावड़ियां – तख्तसागर, उम्मेदसागर, कातन बावड़ी (ओसियां), तापी बावड़ी, महिला बाग़ का झालरा (यहां महिलाओं द्वारा ‘लोटियों का मेला’ लगता है। 
  • लालमिर्च के लिए जोधपुर का मथानियां क्षेत्र प्रसिद्ध है। 
  • बादामी पत्थर जोधपुर जिले से प्राप्त होता है। 
  • मारवाड़ महोत्स्व –  शरद पूर्णिमा (सितंबर-अक्टूबर) में जोधपुर में आयोजित होता है। 
  •  मारवाड़ी भेद वंश का अनुसन्धान केंद्र जोधपुर जिले में है। 
  • गोमठ ऊँट वंश – ऊँट की यह नस्ल सवारी हेतु प्रसिद्ध है। यह नस्ल मुलत: फलौदी (जोधपुर) में पायी जाती है। 
  • मांगलिया मेहाजी – यह कामड़िया पंथ से दीक्षित थे। इनका मुख्य मंदिर बापनी (जोधपुर) में है। जहां पर प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को मेला भरता है। इनका घोडा ‘किरड़ काबरा’ है। 
  • तल्लीनाथजी – इनका जन्म शेरगढ़ (जोधपुर) में हुआ था। इनका वास्तविक नाम गांगदेव राठौड़ था। इनके भाई – रावचूड़ा, पिता – वीरमदेव, गुरु – जालंधर नाथ थे। तल्लीनाथजी जालोर क्षेत्र के लोकदेवता है। इनका जालोर के पांचोटा गांव में पंचमुखी पहाड़ी पर पूजा स्थल है। 
  • रुपनाथजी – ये पाबूजी के भतीजे थे। इनका जन्म जोधपुर के कोलू गांव हुआ था। इनकी हिमाचल प्रदेश में बालकनाथ के रूप में पूजा की जाती है। कोलुमण्ड (जोधपुर) में इनका प्रमुख थान है। 
  • जोधपुर की मस्जिदे/दरगाह/मकबरे –  गुलाब खां, इक मीनार मस्जिद, सूरी मस्जिद, गूलर कालूदान की मीनार(मेहरानगढ़ दुर्ग में), गुलाब कलंदर का मकबरा, गमता गाजी मीनार, भूरे खां की मजार, तना पीर की दरगाह (मंडोर) | 
  • जोधपुर की प्रमुख हवेलियां – राखी हवेली, पुष्य हवेली, पोकरण हवेली, पच्चीसां, बड़े मियां की हवेली। 
  • जोधपुर के रियासत कालीन सिक्के – भीमशाही सिक्के, विजयशाही सिक्के, लल्लुलिया सिक्के, गधिया सिक्के, फदिया सिक्के, ढब्बुशाही सिक्के आदि। 
  • मारवाड़ किसान आंदोलन – चांदमल सुराणा व जयनारायण व्यास के नेतृत्व में मादा पशुओं के निष्कासन व तोल के विरुद्ध हुआ था। 
  • मारवाड़ प्रजामण्डल – 1934 ईस्वी में जोधपुर में मारवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना जयनारायण व्यास ने की थी तथा इसकी अध्यक्ष भंवरलाल सर्राफ बने। 
  • मारवाड़ लोक परिषद – इसका गठन 1938 ईस्वी में सुभाष चंद्र बोस ने किया था। इसके बाद में इसका नेतृत्व जयनारायण व्यास को सौपा। इसका मुख्य उद्देश्य महाराज की छत्र-छाया में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना था। 

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