Jaisalmer District History,पोकरण,लोद्रवा,प्रमुख मेले
Jaisalmer District History
जैसलमेर का अर्थः– राव जयसाल का दुर्ग 12 जुलाई 1155 राव-जैसल द्धारा निर्मित है
सोनार किलाः– जैसलमेर किला पितपात से निर्मित है
- आधुनिक संस्थापकः- महारावल जवाहर सिंह
जैसलमेर को स्वर्ण नगरी भी कहते है इसे हवेलियों व झरोखो की नगरी भी कहते है इसे मांड वल्ल मंडन/गोहन/त्र्ीकुटागढ सग्रहालय नगर/रेगिस्तान का गुलाब/राजस्थान का अंडमान भी कहते है यह जैसलमेर के उपनाम है
थार का घड़ा चांदन नलकूप को कहा जाता है मीठे पानी की उपलब्धता को कहा जाता है
- मीठेेपानी की उपलब्धता के कारण
- क्षैत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बडा जिला क्षैत्रफल 38401 वर्ग कि0 मी0
- जनसंख्या:- 5.7 लाख राज्य में सबसे कम
- जैसलमेर भेड़:– सर्वाधिक उन की प्राप्ति
- जैसलमेर में सबसे कम वर्षा होती है
- देश का प्रथम चारा बैंक
पोकरण:-
- पोकरण का किला
- यह किला राव मालदेव द्वारा निर्मित है
- यह दो बार परमाणु बम छोडे गए 1974 व 1998
- पोकरण में रामदेव जी ने बाल्यावस्था भैरव राक्षस का वध किया था
- पोकरण का प्राचीन नाम सातलमेर था
- इन्दिरा गॉधी के काल में परमाणु परीक्षण 1974 किया गया
- 1998 अटल बिहारी वाजपेय के काल में परमाणु परीक्षण किया गया
खेतोलाई गॉव:-
- परमाणु विस्फोट के कारण चर्चित रहा जैसलमेर सड़को का सबसे कम धनत्व वाला जिला है
- N.H. 15 राज्य का सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग प्लाया/खडीन झीले सर्वािधक जैसलमेर में है
- क्षैत्रफल की दृष्टि से व्यर्थ भूमि वाला जिला जैसलमेर हैा
- देश का प्रथम भू वैज्ञानिक संग्रहालय
- राजस्थान का सबसे बडा भूमिगत संग्रहालय
- जिनदत्त सूरी जैन मन्दिर जैव भण्डार जैसलमेर भण्डार
- चिन्नित भण्डार
1 औध वियुक्तिवृति
2 दस वैकालिका सूत्र चूर्णि यह ग्रांथ भण्डार में है
- न्यूनतम औधोगि इकाईयों बाला जिला
- न्यूनतम ग्राम पंचायतें
पटुओं की हवेली:–
पटुओं की हवेली में पांच छोटी छोटी हवेली है जिसे पटुओं की हवेली कहते हैै यह हवेली पांच भाईयों ने मिलकर बनाई थीा यह हवेली भिन्ति चित्राें के लिए प्रसिद्ध है शिल्प कला की दृष्टि से सर्वोत्क्रष्ट है इन भाईयों की जाति पटुवा थी इस लिए हवेली का नाम पटुओं की हवेली पड़ गया
दीवान नथमल की हवेली:-
इस हवेली का निर्माण दो भाईयों ने मिलकर करवाया था जिसमें एक का नाम हाथी व दूसरे का नाम लाल था
यह हवेली तीन शैलियों से निर्मित है
नथमल की हवेली:- सिन्धी शैली मुगल शैली
सालिम सिंह की हवेली:-
- सालिम सिंह जैसलमेर के राजा गजसिंह के दीवान हुआ करते थे इनका काम सऩ 1840 से 1881 तक का थाा
- सालिम सिंह मेहता अपने काल में अत्याचारी हुआ करते थेा
- इनका निवास स्थान सालिम सिंह मेहता की हवेली कहलाई
गडसीर सरोवर:-
इसका निर्माण रावल घड़सी ने करवाया था
इसी के किनारे जयालशाह पीर की दरगाह भी हैा
अमर सागर झील:-
इसका निर्माण महारावल अमर सिंह ने करवाया
- सन 1692 में इसका निर्माण हुआ था
- इसी के किनारे अमर सागर बाग भी है
- इसके किराने अमरेश्वर महोव मन्दिर है
- यहा इन्होने अपनी पत्नी अनुकॅवरी के लिए करवाया था
बडा बाग व छतरिया:-
जैसलमेर में जो भाटी राजवंश उनका शाहीशमशान है
यह पीले पत्थरो से निर्मित हैा
लोद्रवा:-
लोद्रवा जैसलमेर के भाटी राजवंश की पूर्व राजधानी थी
लोद्रवा के मन्दिर जैन समुदाय के लिए प्रसिद्ध है
लोद्रवा परमार शासको द्धारा निर्मित 10 वीं सदी के जैन मन्दिर है
मूमल लोद्रवा की राजकुमारी थी
ये मन्दिर पीले पत्थरो से निर्मित है
आकल गॉव:-(जैसलमेर में)
बुड फासिल पार्क प्राचीन जीवाश्मों के लिए प्रसिद्ध
सेम के रेतीले टीले:-
सेम गॉव राज्य का पूर्णत वनस्पति रहित गॉव है
यह उॅट की सवारी के लिए भी प्रसिद्ध है
राष्ट्रीय मरू उधान:- राज्य का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उधान है
यह गोडावन के लिए प्रसिद्ध है
गैस आधरित एशिया का सबसे बड़ा टी वी टावर
विधुत परियोजना, रामगढ़
घोटारू, हीलियम गैस के लिए प्रसिद्ध
पीपणा सापे,
नाचना गॉव यहॉ उॅट की सवारी प्रसिद्ध
रूणोचा रामदेवरा
प्रमुख मेले:-
रूणेचा का मेला रामदेवरा भा0 शुकल 2 भाद्र पक्ष शुकल 11 समादी
रूणेचा का मेला पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा धार्मिक मेला
चुंगीतीर्थ मेला:चुंगी गॉव भा0 शु0 4
वैशाखी मेला:- वैशाखी हिन्दु तीर्थ सथल, वैशाखी पूर्णिमा को मेला भरता है
तेमडाराय का मेला:- जैसलमेर दुर्ग, चैत्र नवरात्र, आश्विन नवरात्र
मरू महोत्सव:- जैसलमेर माघ पूर्णिमा को भरता है
स्वागियॉ माता/ आवड माता/ आयड माता/ तेमडाराय या ताई माता
प्रीतक चिन्ह मुडा हुआ माला स्वांग
भाटी राजवंश की कुल देवी
दुसरा रूप शुगन चिडि, तेमडा भाखर जैसलमेर
तनोट माता:- तनोट लोगीवाला जैसलमेर तनुजी द्धारा निर्मित
उपनाम:- 1 बी एस एफ के जवानो की अराध्य देवी
2 रूमाल वाली/रूमालिया देवी
3 थार की वैष्णो देवी
काका गणेश:- चूंधी तीर्थ स्थल जैसलमेर में, काक/मसूरदी/काकनेय नदी के किनारे है 17 कि0मी0
आन्तरिक अपवाह प्रणाली की राज्य में सबसे छोटी नदीा
मिहीखाड़ी:- 17 किलोमीटर की दूरी कोवरी गॉव , बुझझील का निर्माण
युद्ध संग्रहालय:- जैसलमेर
मोम का युद्ध संग्रहालय:- जयपुर
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