Bikaner District Details in Hindi

Bikaner District History,प्रमुख मेले,लुणकरणसर,उसता कला/ चित्रकला

Bikaner District History

बीकानेर राज्‍य की स्‍थापना 1465 ईस्‍वी में हुई

प्रथम राजधानी कोठमदेसर नगर 1465 बनी राव बीका ने ए नगर बसाया उस स्‍थान का नाम राती घाटी बीकानेर नगर 1488 (अक्षय त़तीया आखाती) जिस दिन बीकानेर नगर की स्‍थापना हुई

  • उसी दिन राव बीका ने दुर्ग की नींव रखी उस दुर्गा का नाम राव बीका की टेकरी लघु दुर्ग
  • बीकानेर दुर्ग का निर्माण महाराजा रायसिह ने करवाया था
  • बीकानेर की द्वितीय राजधारी बीकानेर नगर (1488) बनी बीकानेर राज्‍य की स्‍थापना जागंल प्रदेश में हुई जागल प्रदेश की राजधानी अहिच्‍छत्र्पुर (नागौर) थी बीकानेर का पहला राजा

1. राव बीका

2. राव नरा

3. राव लूणकर्ण

4. राव जैतसी

5. राव कल्‍याणमल – मुगलो की सर्वप्रथम अधिनता स्‍वीकार की

6. महाराजा रासिह – जूनागढ़ दुर्ग बनवाया

7. महाराजा कर्ण सिंह – मतीरे की राड़ का युद्व

8. महाराजा अनुप सिंह

9. महाराजा सूरत सिंह – 1818 ईस्‍ट इण्डिया से सन्धि

10. जोरावर सिंह – हुरडा सम्‍मेलन

11. गंगा सिंह – गंगनगर

12. सार्दूल सिंह – अन्तिम राजा

बीकानेर जिलाः-

इसे उन का घर भी कहा जाता है बीकानेर राज्‍य का संस्‍थापक राव बीका है

प्रमुख मेलेः-

1 करणीमाता का मन्दिर देशनोक में है यह मेला चैत्र/ आश्विन नवरात्रा में भरता है

2 सेवको का मेला/ चेनणीचेरी का मेलाः- (देशनोक) यह मेला फाल्‍गुन शुक्‍ल सप्‍तमी को भरता है

3 जम्‍भो जी का मेलाः- यह मेला वर्ष में 2 बार भरता है आश्विन अमावस्‍था 2 फाल्‍गुन अमावस्‍या

4 निर्जला ग्‍यारस का मेलाः- ((ज्‍येष्‍ठ शुल्‍क पक्ष) यह मेला लक्ष्‍मीनारायण मन्दिर में भरता है बीकानेर राज्‍य के राठौड कुलवंश के कुल देवता लक्ष्‍मीनारायण जी है अराध्‍य देवता कोडमदेसर के भेरूजी है

बीकानेर के राठौड वंश के कुलदेवी नागणेची माता है और अराध्‍य देवी करणीमाता है

5 भैरूजी का मेलाः- यह मेला भाद्र पद त्र्योदर्शी के दिन भरता है

6 नागणेची माताः– इनका मन्दिर जूनागढ दुर्ग में भी है नवरात्रो के दिन भरता है व वर्ष में 2 बार भरता हैा

महत्‍वपूर्ण तथ्‍यः-

एशिया की सबसे बडी उन की मण्‍डी इसलिए इसे उन का घर भी कहा जाता है बीकानेर का सबसे बडा कुआ है उसे अलख सागर कहा जाता है

लुणकरणसर

इसकी स्‍थापना राव लुणकर्ण ने की थी लुणकरणसर को राजस्‍थान का राजकोट कहा जाता है यहॉ सर्वाधिक मूॅगफली होती है राजस्‍थान में सर्वप्रथम फव्‍वारा प्रद्वति का आरम्‍भ इसी तहसील में की गई

लिग्‍नाइट आधारित कोयले की राज्‍य में सबसे बडी खान पलाना (बीकानेर) में है

जोहड़बीड

राष्‍ट्रीय उट अनुसंधान केन्‍द्र कैमल मिल्‍क डेयरी

विमला कौसिकः-

यह महिला बीकानेर जिले से है यह जल संरक्षण के लिए कार्यरत है इसलिए इन्‍हे बीकानेर में पानी वाली बहन जी के नाम से जाना जाता है

डुगरीसिंहः- बीकानेर भुजिया का आरम्‍भ इन्‍ही के काल से हुआ

डॉ. लूइजी पियो तेस्‍सीतौरी महाराजा गंगा सिंह के शासन काल में बीकानेर में आए थे इनकी बीकानेर में ही कब्र है

जीवनी टिब्‍बो का मसीहा थोरारी थौरी नथमल जोशी

  • कूलर उधोग के लिए बीकानेर जिला प्रसिद्व है
  • बीकानेर में देवी कुंड की छतरीयॉ प्रसिद्व है
  • देवीकुॅड की छतरियॉ बीकानेर के राठौड वंश का शाही श्‍मशान है

मुकाम तालवाः- बीकानेर

जाम्‍भो जी का समाधि स्‍थल है

जम्‍भो ने समराथल धौरा/थौक धोरा में तपस्‍या की थी व ज्ञान प्राप्ति की व प्रथम उपदेश दिया व बिश्‍नाेई सम्‍प्रदाय का प्रतिपादन किया

मुकाम तालवा में मेला भरता है 2 बार

आश्विन अमावस्‍या

फाल्‍गुन अमावस्‍या लक्ष्‍मीनारायण मन्दिरः-

इसका निर्माण राव लूणकर्ण ने करवाया

कलयुग का कर्ण राव लूणकर्ण को कहा जाता है

यह बीटू सूजा ने कहा

राज पुतानेेका कर्ण महाराजा रायसिह को कहा जाता है यह देवी मुंशीप्रदान को कहा जाता हैा

भांडासर जैन मन्दिरः-

भांडा शाह नामक व्‍यापारी ने इस मन्दिर का निर्माण किया है इस मन्दिर को तिलोक दीपक प्रसाद मन्दिर कहा जाता है इसकी नीव में घी व नारियल भरा गया हैैइस लिए इसे घी व नारियल मन्दिर कहा जाता है यह जैन धर्म के पॉचवे त्रीतनकी कर भगवान सुमतिनाथ को समर्पित हैै यह मन्दिर बीकानेर नगर में है

उसता कला/ चित्रकला

1 (लकड़ी) काट पर कलाकृति

2 भित्ति चित्रण के लिए भी प्रसिद्व है

3 उॅट पर विभिन्‍न प्रकार की चित्रकला की जाती है

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