भारत का पेरिस, गुलाबी नगर, दूसरा वृंदावन, पूर्व का पेरिस, वैभव नगरी आदि के उपनाम से प्रसिद्ध राजस्थान के जयपुर नगर का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 18 नवंबर 1727 को विख्यात बंगाली वास्तुशिल्पी विद्याधर भट्टाचार्य के निर्देशन में 90 डिग्री कोण सिद्धांत पर करवाया गया था। जयपुर शहर का पूर्व नाम जयनगर था। जयपुर के नरेश सवाई रामसिंह द्वितीय ने 1863 में जयपुर की सभी इमारतों को प्रिंस अल्बर्ट एडवर्ड के जयपुर आगमन पर गुलाबी रंग से रंगवाया था। इसी कारण जयपुर को गुलाबी नगर कहा जाने लगा। बिशप हैबर ने भी इस नगर के बारे में कहा है कि नगर का परकोटा मास्को के क्रेमलिन नगर के समान है।
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जयपुर का सामान्य परिचय | Jaipur District
प्राचीन नाम- जयनगर,
स्थापना- 18 नवम्बर 1727 (सवाई जय सिंह)
वास्तुकारः- विधाधर भटटाचार्च
जयपुर के उपनामः-
1 भारत का पेरिस
2 गुलाबी नगर- शब्द का प्रयोग जयपुर के लिए Pink City सर्वप्रथम स्टेनली रीड के द्वारा किया गया
3 दुसरा वृंदावन
4 राजस्थान की दुसरी काशी- सुन्दरता की दृष्टि से तुलना पेरिस से की जाती है
आकृषण की दृष्टि से –बुडापेस्ट
भव्यता की दृष्टि से – मॉस्को
जयपुर ढूॅढ नदी के किनारे बसा है
आधुनिक निर्माता- सर मिर्जा ईस्माइल खान
दशनिय प्ररेटक स्थल-
1725 चन्द्र मल, गोविन्द देव जी मन्दिर, हवा महल, जय निवास सवाई जयसिंह, मानसरोवर झील , जलमहल
- जय निवास जयपुर के बीचो बीच था
- इसमें 9 वर्गो में 9 चौकडियों में व 18 प्रधान सड़के बनी थी
- यह 90 प्रतशित कोण के सिद्वान्त पर था
- प्रत्येक सड़क समकोण पर काटती है
- नीवः- 18 नवम्बर 1727 (सवाई जयसिंह)
जयपुर में 7 दरवाजे है
1 ध्रुव दरवाजा, 2 घाट दरवाजा 3 न्यू दरवाजा 4 सांगानेरी दरवाजा
5 अजमेरी दरवाजा 6 चांद पोल दरवाजा 7 सुरज पोल दरवाजा
देश का प्रथम नगर जो व्यवस्थित या क्रमबद्व रूप से बसा
जयपुर जिले के प्रमुख मेले और त्योहार
प्रमुख मेलाः- मार्ग शीर्ष कृष्ण प्रतिपदा
देवयानीः- सांभर (जयपुर), पौराणिक तीर्थ स्थल, तीर्थो की नानी
तीर्थो का भांजा- मंचकुण्ड (धौलपुर)
तीर्थो का मामा/तीर्थराज/ कोकर्ण तीर्थ- पुष्कर
3 गणेश मन्दिरः- मोती डुंगरी (जयपुर) मेला- गणेश चतुर्थी (भाद्रपद शुक्ल-4)
4 शिलादेवी का मन्दिरः- आमेर दुर्ग में, कच्छवाह वंश की अराध्य देवी
निर्माणः- मिर्जा राजा मानसिंह ने
- ढाका का शासक – केदार कायत – 1594
- मिर्जा राजा मानसिंह ने इस मूर्ति को दहेज में प्राप्त किया था
- मेलाः- चैत्र् नवरात्र, आश्विन नवरात्र ( वर्ष में 2 बार)
- उपनाम – अन्नपूर्णा देवी
- पुनःनिर्माण- सवाई मानसिंह द्वितीय
- इस माता की प्रतिमा अष्टभुज प्रतिमा
- कच्छवाह वंश की कुलदेवी- जमुवाय माता
- जमुवाय माता – जमुवारामगढ़ ( जयपुर)
- निर्माण दुल्हेराय
- उपनाम- बुडवाय माता
- मेला – चैत्र नवरात्र, आश्विन नवरात्र
शीतला माता का मन्दिरः- शीलडुंगरी (चाकलू-जयपुर)
वाहन- गधा, पुजारी- कुम्हार, खण्डित प्रतिमा वाली देवी,
निर्माण – सवाइ्र माधोसिंह प्रथम
उपनामः- चेचक वाली देवी, महामायी माता , माता मावडी , सेढंल माता, बच्चो की संरक्षिका देवी
मेला – शीतला अष्टमी को (चैत्र कृष्ण अष्टमी को) इस दिन खजड़ी की पूजा की जाती है, ठण्डा भोजन किया जाता है जिससे बांसोड़ा कहा जाता है
ज्वाला माता का मेलाः- जोबनेर (जयपुर) खंगारोत वंश की कुल देवी (राव खंगार)
नकटी माताः- जय भवानीपुरा ( जयपुर) प्रतिहारकालीन, महामारू शैली मे
छिंक माताः- जयपुर
नृरसिंह मन्दिरः- जयपुर (आमेर), निर्माण- कृष्णदास पयहरी, काल- पृथ्वीसिंह कच्छवाह
गोविन्द देव जी/ राधा- गोविन्द जी का मन्दिरः-
कच्छवाह वंश के अराध्यदेवता
निर्माण – सवाई जयसिंह (1735)
- बिना खम्भो का यह मन्दिर एशिया का सबसे बड़ा मन्दिर है
- गौडीय सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ राजस्थान
- सवाई प्रताप सिंह ने गोविन्द देव जी को जयपुर का वास्तविक शासक घोषित कर दिया और स्वयं दीवान कहलाये
वामनदेव मन्दिरः- मनोहरपुर, राजस्थान में वामनदेव का एक मात्र मन्दिर
कल्की मन्दिर- जयपुर, समर्पित – विष्णु, निर्माण – सवाई जयसिंह
बृहस्पति मन्दिरः- जयपुर, राज्य का एक मात्र बृहस्पति मन्दिर
निर्माण- जैसलमेर के पीत पाषणों से निर्मित
महत्वपूर्ण तथ्यः-
1 भौतिक शास्त्री C.V. रमन ने जयपुर को आइलैण्ड ऑफ ग्लोरी की संज्ञा दी, वैभव का नगर
2 हैडे की परिक्रमा/ छः कोसी परिक्रमा जयपुर
3 गुडिया का संग्रहालय – जयपुर
इस सग्रहालय का उदघाटन – भैरव सिंह शेखवत ने ( 7 अप्रैल 1979)
4, 30 मार्च 1949 नव निर्मित राजस्थान की राजस्थानी जयपुर बना
पेयजल की सुवधिा के आधार पर पी सत्य नारायण राव समिति की सिफारशि पर जयपुर को राजस्थानी बनाया गया
5 जयपुर सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर
6 सर्वाधिक जनसंख्या धनत्व वाला जिला जयपुर है
7 जयपुर राज्य में उत्तर – पश्चिम रेल्वे का मुख्यालय है
8 जयपुर जन्तुआलय- देश का प्रथम जन्तुआलय , जहॉ घडियाल प्रजनन मे सफलता प्राप्त हुई है
10 जयपुर की काशी- गलता जी को
+= गलता जीः– गालव ऋषि की तपोभूमि , धार्मिक दृष्टि से ” जयपुर का पुष्कर” कहलाता है
मुंकी वैली ” उत्तर तोताद्री ” (गलता जी के नाम)
आमेर के शासकः- पृथ्वीराज कच्छवाह, के काल में नाथ सम्प्रदाय चर्तुसाथ
रामानुजिया भटिः- कृष्णदास पयहरी (रामानंद दुध पिने के कारण सम्प्रदाय, पयहरी की उपाधि दी)
1 जयपुर देश का 11 वा बड़ा नगर है
2 महाराजा लाइब्रेेेरी – राजस्थान की प्रथम हाइटेक पब्लिक लाईब्रेरी है
3 एशिया की सबसे बडी सब्जी मंडी जयपुर में है
4 बैक्सवार म्यूजियम /मोम का युद्व संग्रहालय जयपुर
5 गुडिया संग्रहालय – जयपुर
6 राज्य की प्रथम महिला बॉस्केबॉल एकेडमी सवाई मानसिंह स्टेडियम जयपुर
7 जयपुर को हेरिटज सिटी रत्न नगर पन्ना नगरी तथा रंग श्री का द्विप भी कहा जाता है
8 राजस्थान का प्रथम साइबर थाना जयपुर में खोला गया
9 राजस्थान का सबसे बड़ा वन्यजीव म्यूजियम जयपुर मे है
10 ज्योति विधापीठ महिला विश्व विधालय राजस्थान का प्रथम विश्व विधालय है
11 राजस्थान का प्रथम कैंसर हॉस्पिटल जयपुर मं स्थित है
12 देश का प्रथम सेवा केन्द्र- दूदू (जयपुर)
13 राजस्थान का प्रथम निजी हवाई अड़डा पालडी
14 राजस्थान की प्रथम मैट्रो डेयरी – बस्सी
15 पारूल शेखावत एयर इण्डिया में पायलट चुनी गई राजस्थान की प्रथम विमान चालक
16 आकांक्षा सबसे कम उम्र की महिला कॉमर्शियल पायलट
17 वीना सहारनः- विमान आई एल 76 को उडाने वाली पहली महिला पायलट
18 जयपुर को भारत का सुविन्यासित नगर कहा जाता है जो 9 वर्गो के सिद्वान्त पर बसा है
19 जामा मस्जिद , लक्ष्मीनारायण मन्दिर, पुण्डरीक जी की हवेली- जयपुर
20 जरी का नामः– जयपुर, सवाई जयसिंह
21 भिति चित्र कलाः– आमेर, मिर्जा राजा मानसिंह
22 लाख का नामः- जयपुर
23 तमाशा लोकनाटयः– सवाई प्रताप सिंह, जयपुर
जयपुर जिले के प्रमुख किले/दुर्ग
हवा महलः– (लाल मन्दिर) निर्माणः- सवाई प्रताप सिंह (1799 ईस्वी)
वास्तुकारः- लालचंद उस्ता
हवामहल में खिड़कियॉ 953, ” झाली- झरोखे- 365
- इसकी अकृति कृष्ण मुकुट के समान है
- ये पिरा भिडानुकार का भी है
- सन् 1983 में एक म्यूजियम की स्थापना की गई जिसका नाम हवामहल म्यूजियम है इसमें संग्रहालय भी है जिसे हवामहल संग्रहालय कहते है
हवा महल के पॉच मंजिलो के नाम
1 शरद मन्दिर- प्रथम, 2 रतन मन्दिर- दुसरा, 3 विचित्र मन्दिर- तीसरा, 4 प्रकाश मन्दिर- चौथा, 5 हवा मन्दिर-पाॅचवा
हवामहल दो शौलियों से निर्मित है
1 राजपूत शैली, 2 मुगल शैली
चन्द्रमहल / सिटी पैलेसः- जयपुर
निर्माणः- 1729-34 के मध्य सवाई जयसिंह
वास्तुकारः- याकूब
ये महल 5 मंजिला है
सुख महल, मुबारक महल- पोथीखाना संग्रहालय
सर्वतोभद्र महल ( सरबता महल)
मुबारक महल का निर्माणः- सवाई माधोसिंह द्वितीय
वास्तुकारः- स्टीवन जैबेक
अतिथियो के निवास स्थल के रूप में
शैली राजपूत, हिन्दु/, मुगल शैली/ जारसी/ मुस्मि , यूरोपिय /कम्पनी शैली में मुबारक महल निर्मित है
जयगढ़ दुर्गः- चिल्ह की टीला, मिर्जा राजा मान सिंह, ईगंल की पहाड़ी पर
इसके अन्दर लधु दुर्ग भी है
लधुदुर्ग को विजयगढ़ी भी कहते है
जयगढ़ में जय बणा है जो एशिया की सबसे बडी तोप है
इस दुर्ग को शस्त्र – अस्त्र का संग्रहालय भी है
नाहरगढ़ः-
निर्माणः- सवाई जयसिंह
मराठों के आक्रमण से बचने के लिए नाहरगढ़ दुर्ग का निर्माण किया
सुदर्शनगढ़ दुर्ग
जयपुर की झॉकता हुआ दुर्ग
जयपुर की मुकुट मणि
नाहरसिंह भोमिया के नाम पर यह नाहरगढ़ कहलाया
सवाई माधोसिंह ने अपनी रानियों के लिए एक जैसे 9 महल बनवाए
आमेर दुर्गः- निर्माण- मिर्जा राजा मान सिंह, शीशमहल – राजस्थान का सर्वेश्रेष्ठ शीश महल आमेर दुर्ग में मन्दिर
1 शिला देवी मन्दिर, 2 सुहाग मन्दिर 3 जगत शिरोमणी /लाल जी/ मीरॉ बाई का मन्दिर
प्रवेश द्वार – हाथी पोल / गणेश पाेल, फर्ग्यूसन ने इस विश्व का सर्वश्रेष्ठ प्रवेश द्वारा बताया
जन्तर – मन्तरः– वैध शालाऐं
सवाई जयसिंह ने उज्बेकिस्तान के शासक उलूग बेग की वैधशाला से प्ररेणा लेकर देश में (5) वैधशालाऐं बनवाई
1 दिल्ली- रामयंत्र (उॅचाई मापने के लिए) 2 जयपुर- सबसे बडी 3 बनारस- सम्राट यंत्र ( विश्व की सबसे बडी सौर घड़ी) 4 उज्जैन 5 मथूरा
प्रथम सांइस पार्क- जयपुर में है
द्वितीय पार्क – झालावाड़
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